नया साल तो जश्न का बस एक बहाना होता है ।
तारीखे बदल जाती है ,
मगर जमाना तो वही होता है ।
आप तो मना लोगे जश्न कोठियो मे ,
मगर उनका क्या , जिनको जीवन खुले मे बिताना होता है ।
हो सके तो ले लो दर्द उधार उनके ,
यही है वो उधार जो कभी नही चुकाना होता है ।
इस नये साल मे ऐसा नया क्या है ,
नया तो ये जीवन ही है , जिसमे कुछ करके के दिखाना होता है ।
By
Bhishmendra Kumar Pathak
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